क्यों हरपल बस एक ही खयाल दिल में आता है,
ना जाने ये दिल और मुझसे क्या चाहता है,
सबकुछ तो अपना दे चुकी हूँ इस दिल को मैं,
पर ये कंबख्त क्यों मुझे हरपल रूलाता है…
By ÐipŠ….
क्यों हरपल बस एक ही खयाल दिल में आता है,
ना जाने ये दिल और मुझसे क्या चाहता है,
सबकुछ तो अपना दे चुकी हूँ इस दिल को मैं,
पर ये कंबख्त क्यों मुझे हरपल रूलाता है…
By ÐipŠ….
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